यह पुस्तक लेखक-द्वय के लगभग अठारह वर्षों के अध्ययन अनुभवों के साथ-साथ उनकी प्रशासनिक सक्रियता से प्राप्त अकादमिक व व्यवहारिक ज्ञान से उपजी है, जिसका सबसे बड़ा लाभ यह है कि इसमें छात्रों की न केवल शिक्षण संबंधी कठिनाइयों को भली-भाँति समझा गया है, बल्कि उन्हें विषय संबंधी व्यवहारगत उचित मार्गदर्शन भी प्रदान किया गया है। यही कारण है कि विशेष रूप से सिविल सेवा और प्रांतीय लोक सेवा की तैयारी कर रहे अभ्यार्थियों के लिए लिखी गई यह पुस्तक अन्य स्नातक विद्यार्थियों के लिए भी अत्यंत उपयोगी सिद्ध होगी। समसामयिक घटनाओं, जैसे कि-जम्मू-कश्मीर के संदर्भ में धारा 370 के उपखंड-1 को छोड़कर अन्य उपखंडों का निरसन, विशेष राज्य के दर्जे को वित्त आयोग की अनुशंसा के द्वारा समाप्त किया जाना, नदी जल विवाद (कावेरी के विशेष संदर्भ में), उच्चतम न्यायालय एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीशों की नियुक्ति के लिए पुनः पुरानी कॉलेजियम पद्यति की पुनर्बहाली, लोकपाल एवं लोकायुक्त जैसे पदों का सृजन इत्यादि विषयों को समाविष्ट करना इस पुस्तक की उपयोगिता को कई गुना बढ़ा देते हैं।
डॉ विजय कुमार वर्मा दिल्ली विश्वविद्यालय के दयाल सिंह कॉलेज में राजनीति शास्त्र के वरिष्ठ सहायक प्रोफेसर हैं। अपनी स्कूली शिक्षा इन्होंने केंद्रीय विद्यालय- 2, बोकारो इस्पात नगर, झारखंड से प्राप्त की है। इन्होने अपनी उच्च शिक्षा जिनमें बी.ए. ऑनर्स, एम.ए., एम.फिल., विधिशास्त्र एवं पीएचडी. तक की शिक्षा राजनीति शास्त्र में विशेषज्ञता के साथ दिल्ली विश्वविद्यालय से प्राप्त की है। सुनील कुमार सिविल सर्विसेज अकादमी, पटना के संस्थापक निर्देशक एवं शिक्षक हैं। इन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से स्नातक तथा मगध विश्वविद्यालय, बोधगया से मास्टर डिग्री प्राप्त की है। इनके मार्गदर्शन में कई अभ्यर्थियों ने सिविल सेवा की परीक्षा तथा प्रांतीय लोकसेवा आयोग की परीक्षा में सफलता का परचम लहराया है।
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