
शुरू से ही मुझे आसपास की घटनाओं को गहराई से देखने का शौक था। बचपन में चारों तरफ गरीबी का ही बोलबाला था। अभाव, आँसू, हिंसा, प्रेम, पूजा, भेदभाव और जातिवाद से रोज मुलाकात होती थी। भूत-प्रेत, आत्मा और नरक के किस्से भी दैनिक जीवन का हिस्सा थे। उन्ही में से कुछ लोग, किस्से और कहानियाँ मेरी कल्पना में घर कर गए। मेरी 22-छोटी कहानियों का यह संग्रह, शायद आपको भी पुरानी यादों की छाँव में ले जाये।
नरेन्द्र तनेजा चिंतक, वत्तत्र और जाने-माने ऊर्जा विशेषज्ञ । यह उनकी चौथी पुस्तक है, हिन्दी में पहली मूलतः उत्तर प्रदेश से, लेकिन अब नई दिल्ली के वासी है।
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