लाचार नहीं हम/Lachaar Nahin Hum

लाचार नहीं हम/Lachaar Nahin Hum

Availability: In stock
ISBN: 9788119670192

Author: सी. के. मीना और वी. आर. फिरोज़ /C.K. Meena and V.R. Ferose

Price: Rs. 495

Binding: PB

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495 ₨

About the Book

दिव्यांगता क्या है, इसकी परिभाषा क्या है, यह कितना गंभीर विषय है, दिव्यांग जनों की जनसंख्या कितनी है, इनके लिए देश और दुनिया में कानून क्या हैं, उनके अधिकार क्या हैं, यह पुस्तक दिव्यांगता से संबंधित इन सभी प्रश्नों के उत्तर और अन्य पहलुओं पर गहन चर्चा करती है। विश्व स्वास्थ्य संगठन के आंकड़ों के अनुसार दुनिया में विकलांगों की जनसंख्या करीब 103 करोड़ है या विश्व की कुल आबादी का 15 प्रतिशत है। इतनी विशाल जनसंख्या होने के बावजूद हमारा ध्यान उनकी तरफ नहीं जाता है जबकि बहुत से दिव्यांग लोग शारीरिक कमजोरियों के बावजूद अनेक क्षेत्रों में सफलता के शिखर पर पहुंच रहे हैं जो यह साबित करता है कि वे मानसिक रूप से खुद को लाचार नहीं मानते हैं और कुछ भी करने में सक्षम हैं। कई संगठन भी उनके लिए सराहनीय प्रयास कर रहे हैं और उनके दबाव की वजह से सरकारें भी दिव्यांग जनों के लिए कानून बना रही हैं। फिर भी वे हमारे समाज की मुख्यधारा का हिस्सा नहीं बन पाए हैं। हमें एक समावेशी समाज बनाने की जरूरत है। यह पुस्तक समावेशी समाज बनाने की दिशा में काम कर रहे अनेक संगठनों और निजी प्रयासों के बारे में जानकारी देती है। कुल मिलाकर दिव्यांगता के विषय पर यह एक व्यापक तस्वीर पेश करने वाली प्रामाणिक पुस्तक है।



About the Author

केरल से विज्ञान में ग्रेजुएट सी.के. मीना अंग्रेजी में पोस्ट-ग्रेजुएशन करने के लिए बंगलुरु चली गईं, और फिर पत्रकारिता के क्षेत्र में आ गईं। इसके बाद उन्होंने कहानी लेखन में भी हाथ आजमाया। उन्होंने डेक्कन हेराल्ड में काम किया और अब द हिंदू में कॉलम लिखती हैं। वे बंगलुरु में एशियन कॉलेज ऑफ जर्नलिज़्म की संस्थापक सदस्य भी हैं। उनके अब तक तीन उपन्यास प्रकाशित हो चुके हैं और वे अनगिनत फीचर एवं कॉलम लिख चुकी हैं। उन्हें ट्वीट या ब्लॉग के प्रति कभी रुचि नहीं रही है लेकिन कोविड की महामारी के दौरान कभी-कभी किंडल की लालच में पड़ने से खुद को नहीं रोक पाई थीं।

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