
क्या उत्तर प्रदेश में दशकों तक अज्ञातवास करने वाले गुमनामी बाबा नेताजी सुभाष चन्द्र बोस थे? गहन शोध के पश्चात्, चन्द्रचूड़ घोष और अनुज धर इस निष्कर्ष पर पहुँचे हैं कि सत्य हमारी कल्पनाओं से कहीं अधिक विचित्र है। वे नेताजी ही थे। और यदि यह सत्य है, तो क्यों सरकार के आधिकारिक कथनों एवं जस्टिस विष्णु सहाय आयोग की रिपोर्ट का निष्कर्ष इससे भिन्न हैं? नेताजी कब और कैसे भारत लौटे? क्यों इतने वर्षों तक वे अपने ही देश में छिपकर रहे? क्यों सरकार इस सत्य को हम देशवासियों से छिपा रही है?—इन सभी प्रश्नों के समाधान आपको विचलित कर देंगे। जानिए: कैसे कई दशकों से इस देश की जनता की आँखों में धूल झोंकी जा रही है। कैसे फ़ॉरेन्सिक विज्ञान ने नाम पर बनाईं गईं DNA एवं हस्तलेख की झूठी रिपोर्टें और संसद में दिए गए झूठे वक्तव्य। …सरकार नहीं चाहती कि आप ये सब कुछ जानें।
चंद्रचूर घोष एक पूर्व व्यापार रणनीति सलाहकार, और अर्थशास्त्र, पर्यावरण, इतिहास और राजनीति पर एक लेखक हैं, जिन्होंने विश्व भारती और ससेक्स विश्वविद्यालय से स्नातक किया है।
अनुज धर बेस्टसेलर "इंडियाज बिगेस्ट कवर-अप" के लेखक हैं, जिसने नेताजी की फाइलों को सार्वजनिक करने की मांग को लेकर आंदोलन शुरू किया और हिट वेब सीरीज "बोस: डेड/अलाइव" को प्रेरित किया। प्रधान मंत्री लाल बहादुर शास्त्री की रहस्यमयी मौत पर उनकी किताब, "योर प्राइम मिनिस्टर इज डेड", चार्ट टॉपर भी है।
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