यह पुस्तक शिक्षा-उद्यमी मंजुला पूजा श्रॉफ की जीवन यात्रा की एक झांकी है, जिन्होंने सफलता की मंजिल तक पहुंचने के लिए बने-बनाए ढर्रे से हटकर अपना अलग रास्ता बनाया। उन्होंने बचपन में ओडिशा के सुरंगी महल में सुख-सुविधाओं से भरपूर जीवन बिताने के बाद हॉस्टल के कठोर अनुशासन वाला जीवन भी देखा। इतना ही नहीं, उन्हें कम उम्र में ही अपने प्रियजनों को खो देने की पीड़ा का भी सामना करना पड़ा। राजसी ठाठ-बाट को छोड़कर उन्हें बाहर की दुनिया की कठोर वास्तविकताओं के अनुभवों से गुजरना पड़ा। इस तरह यह कदम-कदम पर तमाम चुनौतियों का सामना करते हुए असंभव से दिखने वाले सपनों को साकार करने की लाजवाब कहानी है। आत्मविश्वास और दृढ़ संकल्प की मिसाल पेश करने वाली मंजुला पूजा श्रॉफ हमारे लिए प्रेरणा की प्रतीक हैं। उनकी यह जीवन यात्रा हमें कठिन से कठिन परिस्थितियों में सफलता हासिल करने के लिए प्रेरित करती है।
पुरस्कार-प्राप्त पत्रकार, लेखिका, वक्ता और आर्ट-क्यूरेटर अनुरीता राठौर जडेजा एक जीवनी लेखिका भी हैं। बीस साल से भी ज्यादा समय पहले इंडियन एक्सप्रेस में करियर की शुरुआत करते हुए वे टाइम्स समूह के अखबार अहमदाबाद मिरर में फीचर एडिटर के पद तक जा पहुंचीं। इस बीच उन्होंने माइ एफएम रेडियो और इंडिया टुडे में भी काम किया। अनुरिता अब साहित्यिक कार्यक्रमों एवं कला प्रदर्शिनियों के आयोजनों को तैयार करने का काम करती हैं। उन्होंने सोयरीज़ ऐंड स्टोरीज़ की भी स्थापना की है जो लोगों और उनके विशेष अवसरों की जरूरतों के अनुरूप पुस्तकें तैयार करने का एक विशेष प्रयास है। वे कैलाश मानसरोवर—साइकिल राइड्स सोल जर्नीज़ की सह-लेखिका भी हैं।
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