
इस किताब के अंदर कुछ कहानियाँ सच्ची घटनाओं और अनुभवों पर आधारित हैं और कुछ काल्पनिक हैं लेकिन सभी को पाठकों के लिए कलम के ताने-बाने में इस तरह से पिरोया गया है कि इन्हें पढ़ने के दौरान ना सिर्फ उन्हें मिर्गी से सम्बंधित महत्वपूर्ण जानकरियाँ हासिल हो बल्कि उन्हें कहानियों का रस भी मिले। मुख्यतः ये कहानियाँ मिर्गीग्रस्त लोगों को ध्यान में रखकर लिखी गयी हैं पर उतनी ही उपयोगी ये उनके परिवारजनों और किसी भी अन्य संवेदनशील व्यक्ति के लिए भी हैं। ये किताब आपको ये सोचने पर बाध्य करेगी कि मिर्गी वास्तव में है क्या और समाज में इसको लोग जानते कैसे हैं? हमारी इस बीमारी और इस बीमारी से जूझ रहे व्यक्तियों के प्रति क्या ज़िम्मेदारी और कर्त्तव्य है? और हम इनके लिए कुछ छोटी-छोटी बातों पर ध्यान देकर इनका कितना भला कर सकते हैं। मेडिकल साइन्स अब तक इस बीमारी के मुख़्य कारणों पर पर शोध कर रहा है पर फिर भी ज़रूरी इलाज के साथ-साथ प्यार और देखभाल से इस पर विजय पायी जा सकती है। यही सन्देश इस किताब के हर कहानी में सजगता के साथ दिया गया है। ये किताब मिर्गीग्रस्त व्यक्ति की मनःस्थिति के विभिन्न पहलुओं पर हमारा ध्यान खींचती है, जैसे अविश्वास और धोखा, अपमान, नकारात्मकता, अलगाव, तनाव, समाज का सौतेला व्यवहार, अवसाद, जुनून, उम्मीद और आखिर में ख़ुशी, सुख और सुकून जो कि किसी ज़रूरतमंद की मदद करने से मिलती है। इसमें कहीं रोमांस भी है तो कहीं यौन शोषण का दर्दनाक उल्लेख भी है, कहीं असफल शादी की पीड़ा है तो कहीं समाज के तानों का दंश झेल रहे माता-पिता का मौन दुःख भी है और अंत में व्यक्ति आत्मा का जागृत होकर इन सब पर विजय पाने का भी उल्लेख है।
दो साल की छोटी सी उम्र से ही मिर्गी की पीड़ा झेलते हुए प्रीति सिंह को कई पुरस्कारों से नवाज़ा जा चुका है। आपने जीवन अपनी शर्तों पर जीने के लिए कठिन से कठिन चुनौतियों का डटकर सामना किया और उन पर जीत हासिल की है। इसके साथ-साथ आप ने हमेशा अपने जीवन और कलम के माध्यम से दूसरों को ऐसे ही आत्मविश्वास से जीवन जीते रहने के लिए प्रेरित किया है।
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